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Wednesday, April 28, 2021

रैदास- पद

 


पाठ का नाम

रैदास- पद

प्रश्न-1















प्रश्न-2

निम्न प्रश्नों के उत्तर २-३ पंक्तियों में दे ‌  (२ अंक )

  1. पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।

  2. दूसरे पद में कवि ने 'गरीब निवाजु' किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।

  3. दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

  4. 'रैदास' ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?

  5. रैदास ने अपने ‘लाल’ की किन-किन विशेषताओं का उत्लेख किया है?

  6. कवि रैदास ने किन-किन संतों का उल्लेख अपने काव्य में किया है और क्यों?



निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ५० से ६०पंक्तियों में लिखिए (५अंक)

  1. रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

  2. रैदास द्वारा रचित दूसरे पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ को प्रतिपाद्य लिखिए।

  3. ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ पठित पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि रैदास की उनके प्रभु के साथ अटूट संबंध हैं।


















Thursday, April 15, 2021

अनुच्छेद लेखन

 


पाठ का नाम

अनुच्छेद   लेखन                             

अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए -

1) अनुच्छेद लिखने से पहले रूपरेखा, संकेत-बिंदु आदि बनानी चाहिए। (कुछ प्रश्न-पत्रों में पहले से ही रूपरेखा, संकेत-बिंदु आदि दिए जाते हैं। आपको उन्हीं रूपरेखा, संकेत-बिंदु आदि को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद लिखना होता है।)


(2) अनुच्छेद में विषय के किसी एक ही पक्ष का वर्णन करें। (ऐसा इसलिए करना आवश्यक हो जाता है क्योंकि अनुच्छेद में शब्द सिमित होते हैं और हमें अनुच्छेद संक्षेप में लिखना होता है।)


(3) भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभावशाली होनी चाहिए। ताकि समीक्षक या पढ़ने वाला आपके अनुच्छेद से प्रभावित हो सके।


(4) एक ही बात को बार-बार न दोहराएँ। क्योंकि एक ही बात को बार-बार दोहराने से आप अपने अनुच्छेद को दिए गए सीमित शब्दों में पूरा नहीं कर पाएँगे और अपने संदेश को लोगों तक नहीं पहुँचा पाएँगे।


(5) अनावश्यक विस्तार से बचें, लेकिन विषय से न हटें। आपको भले ही संक्षेप में अपने अनुच्छेद को पूरा करना है, परन्तु आपको ये भी ध्यान रखना है कि आप अपने विषय से न भटक जाएँ।


(6) शब्द-सीमा को ध्यान में रखकर ही अनुच्छेद लिखें। ऐसा करने से आप अपने अनुच्छेद में ज्यादा-से-ज्यादा महत्वपूर्ण बात लिखने की ओर ध्यान दे पाएँगे।


(7) पूरे अनुच्छेद में एकरूपता होनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कही कोई बात विषय से अलग लगे और पढ़ने वाले का ध्यान विषय से भटक जाए।


(8) विषय से संबंधित सूक्ति अथवा कविता की पंक्तियों का प्रयोग भी कर सकते हैं। इससे आपका अनुच्छेद बहुत अधिक प्रभावशाली और रोचक लगेगा।


(9) अनुच्छेद के अंत में निष्कर्ष समझ में आ जाना चाहिए यानी विषय समझ में आ जाना चाहिए।


अनुच्छेद की प्रमुख विशेषताएँ -


(1) अनुच्छेद किसी एक भाव या विचार या तथ्य को एक बार, एक ही स्थान पर व्यक्त करता है। इसमें अन्य विचार नहीं रहते।


(2) अनुच्छेद के वाक्य-समूह में उद्देश्य की एकता रहती है। अप्रासंगिक बातों को हटा दिया जाता है। केवल बहुत अधिक महत्वपूर्ण बातों को ही अनुच्छेद में रखा जाता है।


(3) अनुच्छेद के सभी वाक्य एक-दूसरे से गठित और सम्बद्ध होते है। वाक्य छोटे तथा एक दुसरे से जुड़े होते हैं।


(4) अनुच्छेद एक स्वतन्त्र और पूर्ण रचना है, जिसका कोई भी वाक्य अनावश्यक नहीं होता।


(5) उच्च कोटि के अनुच्छेद-लेखन में विचारों को इस क्रम में रखा जाता है कि उनका आरम्भ, मध्य और अन्त आसानी से व्यक्त हो जाए और किसी को भी समझने में कोई परेशानी न हो।


(6) अनुच्छेद सामान्यतः छोटा होता है, किन्तु इसकी लघुता या विस्तार विषयवस्तु पर निर्भर करता है। लेखन के संकेत बिंदु के आधार पर विषय का क्रम तैयार करना चाहिए।


(7) अनुच्छेद की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।


.निम्न में से किसी एक  विषय पर अनुच्छेद   लिखिए-


1.जीवन में खेलकूद का महत्व (कक्षा-कार्य)

2.समय का सदुपयोग    (गृहकार्य)                     

3.व्यायाम    (गृहकार्य) 





दुख का अधिकार

 


पाठ का नाम 

दुख का अधिकार

प्रश्न-1










प्रश्न-2

निम्न प्रश्नों के उत्तर २-३ पंक्तियों में दे ‌  (२ अंक )


1. किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें क्या पता चलता है?

2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

3. लेखक ने समाज की किस कुप्रथा पर व्यंग्य किया है?

4. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ५० से ६०पंक्तियों में लिखिए (५अंक)


1. "दुख का अधिकार "कहानी का मूल भाव क्या है?

2. 'व्यक्ति के सुख- दुःख में समाज की क्या भूमिका होती है।' अथवा 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

3. इस पाठ का शीर्षक 'दुःख का अधिकार कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट कीजिए।


Friday, May 1, 2020

शब्द व पद


गृहकार्य (नोट-बुक)


निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए

1.शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।

2.पद किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।

3.शब्द पद कब बन जाता है तर्क संगत उत्तर दीजिए।

4.शब्द व पद में कोई तीन अंतर बताइए।

5. पद कितने प्रकार के होते हैं? नाम लिखिए।

रेखांकित पदों के भेद लिखिए।
1. मुझे एक पेन दो।

2.राधा निबंध लिख रही है।

3. कोई अंदर आ रहा है।

4. पार्थ अच्छा लड़का है।

5. बच्चे धीरे-धीरे पढ़ रहे हैं।

6. मयंक पतंग उड़ा रहा है।

Wednesday, April 29, 2020

संचयन- गिल्लू


                 




संचयन- गिल्लू – गृहकार्य (नोट-बुक कार्य)


   निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 60 - 70 शब्दों में लिखिए     (3  अंक)

       1. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता लेखिका ने कब महसूस की ?उसके लिए उन्होंने क्या       किया।
       2.  लेखिका महादेवी वर्मा को चौंकाने के लिए गिल्लू क्या करता था?

       3.   गिल्लू के जीवन के अंतिम समय का वर्णन कीजिए।

       4.    निरीह एवं मूक जीव जंतुओं के जीवन को संकट में डालने वाले स्वार्थी मनुष्यों को इस पाठ में से   क्या शिक्षा मिलती है?

        5.    पाठ के आधार पर  कौवे को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया 
                             पाठ के प्रश्नोत्तर

संचयन पाठ-01 गिल्लू
1. सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर:- 
सोनजुही की पीली कली मनमोहक होती है। लेखिका को विचार आया कि वह छोटा जीव लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठ जाता था। उसका नाम गिल्लू था। लेखिका के निकट पहुँचने ही उनके कंधे पर कूदकर उन्हें चौंका देता था। तब लेखिका को कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज थी। लेखिका को गिल्‍लु से इतना लगाव हो गया था कि उसकी मौत के पश्‍चात भी वह उसे भुला नही पा रही थी ।
2. पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर:- 
कौआ बड़ा विचित्र प्राणी है। इसका कभी आदर किया जाता है तो कभी अनादर। श्राद्ध में लोग कौए को आदर से बुलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पुरखे हमसे कुछ पाने के लिए कौए बनकर ही आते हैं। इसका अनादर इसलिए किया जाता है, क्योंकि काँव-काँव करके हमारा सिर खा जाते हैं। इसकी कर्कश वाणी किसी को नहीं भाती। हालॉकि किसी प्रियजन के आगे की सूचना यह अपनी कर्कश आवाज मे ही देता है ।
3. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर:- 
लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले गई। रुई से उसका खून पोंछकर उसके घावों पर पेंंसिलिन का मरहम लगाया। उसकी भूख मिटाने के लिए रुई की बत्ती दूध में भिगोकर उसके मुँह पर लगाई गई। पर दूध की बूँदे मुँह के दोना तरफ गिर गई । कई घंटे के उपचार के बाद वह उसके मुँह में पानी की एक बॅूंद टपकाने में सफल हुई। तीन दिन में वह स्वस्थ हो गया।
4. लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तर:- 
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठ जाती।
5. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर:- 
गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि वह उसका पहला बसंत था। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके कुछ-कुछ कहने लगीं। उस समय गिल्लू जाली के पास आकर बैठ जाता था और उन्हें निहारता रहता था। तब लेखिका को लगा के अब गिल्लू को मुक्त कर देना चाहिए। वह अपने साथियों से मिलना चाहता था। लेखिका ने उसे मुक्त करने के लिए जाली का कोना खोल दिया ताकि इस मार्ग से गिल्लू आ-जा सके।

6. गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर:- 
एक बार लेखिका मोटर-दुर्घटना में घायल होकर कुछ दिन तक अस्पताल में रही। अस्पताल से घर आने पर गिल्लू ने उसकी सेवा की। वह लेखिका के तकिए के सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से उसके सिर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कि उसका वहाँ से हटना लेखिका को किसी परिचारिका के हटने के समान लगता। इस प्रकार लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू ने परिचारिका की भूमिका निभाई।
7. गिल्लू को किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है ?
उत्तर:- 
जब गिल्लू का अंत समय आया तो उसने खाना-पीना छोड़ दिया। वह घर से बाहर भी नहीं गया। गिल्लू अपने अंतिम समय में झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर निश्चेष्ट लेट गया। उसके पंजे पूरी तरह ठंडे पड़ चुके थे। वह रात भर लेखिका की ऊँगली पकड़ें रहा और प्रभात होने तक वह सदा के लिए मौत की नींद सो गया।
8. 'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया' - का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- 
इस कथन का आशय है कि प्रातः कालीन सूर्य की किरणों के साथ ही गिल्लू ने अपना शरीर त्याग दिया। किसी अन्य जीवन में जन्म लेने के लिए उसने अपने प्राण छोड़ दिए। लेखिका को यह विश्‍वास है
9. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है ?
उत्तर:- 
सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता था कि एक दिन गिल्लू जूही के छोटे से पत्ते के रूप में अवश्य खिलेगा और वह फिर से उसे अपने आस-पास अनुभव कर पाएगी। यह विश्वास उन्हें संतोष देता था।


अनौपचारिक पत्र



अनौपचारिक पत्र गृहकार्य (नोट-बुक कार्य)

1  1. पी.पी.टी. से देखकर पत्र का प्रारूप लिखें तथा पी.पी.टी. में दिए गए कोई भी दो नमूना पत्र लिखे:- 






एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा



गृहकार्य  (नोट-बुक कार्य)



निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 2 से 3 पंक्तियों में दीजिए- (2 अंक)
1. हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
2.  उपनेता प्रेमचंद ने पर्वतारोहियों को किस स्थिति से अवगत कराया।
3.  साउथ कॉल के कैंप पहुंचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की।4.  लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी।


 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 60 से 80 शब्दों में दीजिए। (5 अंक)
1  1. एवरेस्ट पर पहुंचने के बाद बछेंद्री पाल के क्रियाकलापो का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
 2. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव  से स्वीकार करनी चाहिए ।इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

पाठ के प्रश्नोत्तर 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
1. अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर:- 
अग्रिम दल का नेतृत्व पूर्व उपनेता प्रेमचंद कर रहे थे।
2. लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?
उत्तर:- 
एवरेस्ट को नेपाली भाषा में सागरमाथा नाम से जाना जाता है।
लेखिका को सागरमाथा नाम अच्छा लगा क्योंकि सागर के पैर नदियाँ हैं तो सबसे ऊँची चोटी उसका माथा है और यह एक फूल की तरह दिखाई देता है, जैसे माथा हो | सागरमाथा का अर्थ है समुद्र का मस्तक या माथा । एवरेस्‍ट वास्‍तव मे समुद्र का माथा सा प्रतीत होता है ।
3. लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
उत्तर:- 
लेखिका को एक बड़े भारी बर्फ़ का बड़ा फूल (प्लूम) पर्वत शिखर पर लहराता हुआ ध्वज जैसा लगा।
4. हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
उत्तर:- 
हिमस्खलन से सोल‍ह शेरपा कुलियो मे से एक की मृत्यु हुई और चार घायल हो गए।
5. मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
उत्तर:- 
एक शेरपा कुली की मृत्यु तथा चार के घायल होने के कारण अभियान दल के सदस्यों के चेहरे पर छाए अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु को भी सहज भाव से स्वीकारना पडता है ।
6. रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर:- 
प्रतिकूल जलवायु के कारण एक रसोई सहायक की मृत्यु हो गई है।
7. कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
उत्तर:- 
कैंप-चार २९ अप्रैल को सात हजार नौ सौ मीटर की ऊँचाई पर लगाया गया था।
8. लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?
उत्तर:- 
लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय यह कह कर दिया कि वह बिल्कुल ही नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।
9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर:- 
लेखिका की सफलता पर बधाई देते हुए कर्नल खुल्लर ने कहा, "मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा
• प्रश्न-अभ्यास (लिखित)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -
10. नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर:- 
नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौंचक्की रही गई। वह एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फ़ीली ढेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।
11. डॉ.मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तर:- 
डॉ.मीनू मेहता ने उन्हें निम्न जानकारियाँ दीं -
अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना।
लट्ठों और रस्सियों का उपयोग करना।
बर्फ़ की आड़ी -तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना।
अग्रिम दल के आभियांत्रिक कार्यो की जानकारी दी।
12. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा?
उत्तर:- 
तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए। कठिन और रोमांचक कार्य करना उनका शौक था। वे लेखिका की सफलता चाहते थे और उन्हें पूरी आशा थी कि वे होंगी |
13. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर:- 
लेखिका को अपने दल के साथ तथा जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। परन्तु वे लोग पीछे रह गए थे।
14. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?
उत्तर:- 
तंबू के रास्ते एक बड़ा बर्फ़ पिंड गिरा था जिसने कैंप को तहस-नहस कर दिया था| लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी की सहायता से तंबू का रास्ता साफ़ किया और लेखिका को बाहर निकाला।
15. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
उत्तर:- 
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिण्डर इकट्ठे किए। अपने दल के दूसरे सदस्यों को मदद करने के लिए एक थर्मस में जूस और दूसरे में चाय भरने के लिए नीचे उतर गई |

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -
16. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर:- 
उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल के सदस्यों को निम्न स्थितियों से अवगत कराया -
पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि उनके दल ने कैंप - एक (6000 मीटर), जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया।
यह भी बताया कि पुल बना दिया गया है, रस्सियाँ बाँध दी गई हैं तथा झंडियों से रास्ते को चिह्नित कर दिया गया है।
बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है।
ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना जारी है। यदि हिमपात अधिक हो गया तो अभी तक किए गए सारे काम व्यर्थ हो सकते हैं। हमें रास्ते खोलने का काम दोबारा भी करना पड़ सकता है।
17. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर:- 
बर्फ़ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरने को हिमपात कहा जाता है। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं। अन्य कारणों से भी अचानक खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे धरातल पर बड़ी चौड़ी दरारें पड़ जाती हैं। अधिक हिमपात के कारण तापमान में भारी गिरावट आती है। रास्ते बंद हो जाते हैं।
18. लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
उत्तर:- 
लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन बहुत भयानक एवं खतरनाक था। लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात 12.30 बजे एक सख्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई और वह जाग गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था। उसमें अनेक हिमखंडो का पुंज था। वह एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति के साथ और भीषण गर्जना के साथ गिरा था। इसने लेखिका के कैंप को नष्ट कर दिया था। इससे चोट तो सभी को लगी पर मृत्यु किसी की भी नहीं हुई।
19. लेखिका को देखकर 'की' हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर:-
 लेखिका को अपने दल के अन्‍य सदस्‍यों जय, की तथा मीनू के साथ चढाई करनी थी। चूकि लेखिका साउथकोल अपने सहयोगियों से पहले पहुँच गई थाी, इसलिए वह अपने साथीयो की सहायता हेतु पुन दुर्गम पहाडियो से नीचे उतरी। तब वह की के सामने पहुँची, तो वह यह देखकर हक्‍का बक्‍का रह गया कि लेखिका इतने दुर्गम रास्‍तो को पार कर यहॉं दोबारा आ पहुँची है ।

20. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:- 
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप बनाए गए थे।
1. बेस कैंप - यह कैंप काठमांडू के शेरपालैंड में लगाया गया था। पर्वतीय दल के नेता कर्नल खुल्लर यहीं रहकर एक-एक गतिविधि का संचालन कर रहे थे। उपनेता प्रेमचंद ने भी हिमपात संबंधी सभी कठिनाइयों का परिचय यहीं दिया।
2. कैंप - 1 - यह कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया। यह हिमपात के ठीक ऊपर था। इसमें सामान जमा था।
3. कैंप - 2 - यह चढ़ाई के रास्ते में था।
4. कैंप - 3 - इसे ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढ़लान पर लगाया गया था। यह रंगीन नायलॉन से बना था। यहीं ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर बर्फ़ पिंड कैंप पर आ गिरा था।
5. कैंप - 4 - यह समुद्र तट से 7900 मीटर की ऊँचाई पर था।
6. साउथ कोल कैंप - यहीं से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू है।
7. शिखर कैंप - यह कैंप अंतिम कैंप था। यह एवरेस्ट के ठीक नीचे स्थित था।
21. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:- 
जब लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची तब वहाँ तेज़ हवा के कारण बर्फ़ उड़ रही थी। एवरेस्ट की चोटी शंकु के आकार की थी। वहाँ इतनी भी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति एक साथ खड़े हो सकें। चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। चट्टाने इतनी भुरभुरी थी मानो शीशे की चादरें बिछी हों। लेखिका को फावड़े से बर्फ़ की खुदाई करनी पड़ी ताकि स्वयं को सुरक्षित और स्थिर कर सके। दश्‍यता शून्‍य तक पहुँच गई थाी ।
22. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर:- 
लेखिका के व्यवहार से सहयोग और सहायता का परिचय तब मिलता है जब वे अपने दल के दूसरे सदस्यों को मदद करने के लिए एक थर्मस में जूस और दूसरे में चाय भरने के लिए बर्फीली हवा में तंबू से बाहर निकली और नीचे उतरने लगी। जय ने उनके प्रयास को खतरनाक बताया तो बचेंद्री ने जवाब दिया "मैं भी औरों की तरह पर्वतारोही हूँ, इसलिए इस दल में आई हूँ। शारीरिक रूप से ठीक हूँ इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं करनी चाहिए?" यह भावना उसकी सहयोगी प्रवृत्ति को दर्शाती है।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए -
23. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
उत्तर:- 
यह कथन अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर का है। उन्होंने शेरपा कुली की मृत्यु के समाचार के बाद कहा था। उन्होंने सदस्यों के उत्साहवर्धन करते हुए अभियान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को वास्तविकता से परिचित करना चाहा। एवरेस्ट की चढ़ाई कोई आसान काम नहीं है, यह जोखिम भरा अभियान होता है। यदि ऐसा कठिन कार्य करते कुए मृत्यु भी हो जाए तो उसे स्वाभाविक घटना के रूप में लेना चाहिए। सच्‍चा पर्वतारोही इस सत्‍य के साथ ही अपना अभियान प्रारंभ करता है।
24. सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर:- 
इस कथन का आशय है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडो के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरार पड़ जाती है। यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिम-विदर में बदल जाती है यह बहुत खतरनाक होते हैं। यह सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। इससे भी ज्यादा भयानक जानकारी थी कि पूरे प्रयासों के बाद यह भयंकर हिमपात पर्वतारोहियों व कुलियों को परेशान करता है। उन्हें इनका सामना करना पड़ेगा। लेखिका इस बात से भयभीत थी कि इस तरह की प्राकतिक आपदाओ के कारण वह और उसके सहयोगी पर्वतारोही हर क्षण खतरो से घिरे रहेगे।
25. बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
उत्तर:- 
लेखिका जब एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर घुटनों के बल बैठ कर बर्फ़ पर अपना माथा लगाया और चुंबन किया। उसके बाद एक लाल कपड़े में माँ दुर्गा का चित्र और हनुमान चालीसा को लपेटा और छोटी से पूजा करके बर्फ़ में दबा दिया वह बहुत खुश थी और उसे अपने माता-पिता का स्मरण हो आया। इस विजय में लेखिाक ने भगवान और अपने माता पिता का बारी बारी से नमन किया । यह लेखिका के लिए अत्यंत गौरव का क्षण था। उन्हें आज भी एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में पहचाना जाता है।



स्पर्श पाठ- रैदास [पद]




गृहकार्य  (नोट-बुक कार्य)




पाठ के प्रश्नोत्तर 

स्पर्श पाठ-09 रैदास [पद]
1. पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर:- 
पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना चंदन-पानी, घन-वन-मोर, चन्द्र-चकोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सोना-सुहागा आदि से की गई है।
2. पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे - पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकरलिखिए।
उत्तर:- 
तुकांत शब्द - पानी-समानी, मोरा-चकोरा, बाती-राती, धागा-सुहागा, दासा-रैदासा।
3. पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए -
उदाहरण : दीपक बाती
उत्तर:- 
दीपक-बाती, मोती-धागा, स्वामी-दासा, चन्द्र-चकोरा, चंदन-पानी।
4. दूसरे पद में कवि ने 'गरीब निवाजु' किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- 
दूसरे पद में 'गरीब निवाजु' ईश्वर को कहा गया है। ईश्वर को 'निवाजु ईश्वर' कहने का कारण यह है कि वे दीन दुखियो पर दया करने वाला प्रभु ने रैदास जैसे अछुत माने जाने वाले प्राणी को संत की पदवी प्रदान की। रैदास जन-जन के पूज्‍य बने। उन्‍हे महान संतो जैसा सम्‍मान मिला। रैदास की दष्टि मे यह उनके प्रभु की दीन-दयालुता और कपा ही है।
5. दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- 
इस पंक्ति का आशय यह है कि गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है। परन्तु ईश्वर कोई भेदभाव न करके उन पर दया करते हैं, उनकी सहायता करते हैं, उनकी पीड़ा हरते हैं। चाहे वह दीन अर्थात रंक हो या राजा।
6. 'रैदास' ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
उत्तर:- 
रैदास ने अपने स्वामी को गुसईया, गरीब निवाजु, लाल, गोबिंद, हरि, प्रभु आदि नामों से पुकारा है।
8. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए -
1. जाकी अँग-अँग बास समानी
उत्तर:- 
इस पंक्ति का भाव यह है कि जैसे चंदन के संपर्क में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, उसी प्रकार एक भक्त के तन-मन में ईश्वर भक्ति की सुगंध व्याप्त हो गई है।
2. जैसे चितवत चंद चकोरा
उत्तर:- 
इस पंक्ति का भाव यह है कि जैसे चकोर पक्षी सदा अपने चन्द्रमा की ओर ताकता रहता है उसी भाँति मैं (भक्त) भी सदा तुम्हारा प्रेम पाने के लिए तरसता रहता हूँ।
3. जाकी जोति बरै दिन राती
उत्तर:- 
इस पंक्ति का भाव यह है कि कवि स्वयं को बाती और ईश्वर को दीपक मानते है। ऐसा दीपक जो दिन-रात जलता रहता है अर्थात प्रभु भक्ति की लौ सतत जलती रहती है ।
4. ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
उत्तर:- मेरे लाल, मेरे स्‍वामी, मेरे उपर इतनी कपा आपके अलावा और कौन कर सकता है मुझ पर आपकी कपा सदैर बनी रहती है ।
5. नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै
उत्तर:- 
इस पंक्ति का भाव यह है कि ईश्वर हर कार्य को करने में समर्थ हैं। वे नीच को भी ऊँचा बना लेता है। उनकी कृपा से निम्न जाति में जन्म लेने के उपरांत भी उच्च जाति जैसा सम्मान मिल जाता है।
9. रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उतर - रैदास के पद भक्ति एवं प्रेम के सर्वक्षेष्‍ठ उदाहरण है। भक्तिकालीन युग के रैदास भक्ति मे प्रेम एवं समानता के पक्षधर है। उनका पहला पद उनकी भक्ति  एवं श्रद्धा सहित समर्पण भाव को दर्शाता है, जबकि दूसरा पद प्रभु के माध्‍यम से सामाजिक समता की मॉंग करता है। पहले पद मे प्रभु का सामीप्‍य प्राप्‍त करने के लिए रैदास चंदन का पानी, मेघ्‍ा के प्रति आकर्षित मोर, चॉंद का चकोर, दीपक की बाती, मोती का धागा तथा अपने स्‍वामी का दास बने रहने की कामना करते है। वही दूसरे पद मे वे प्रभु के माध्‍यम से सामाजिक विषमता को दूर करने की कामना करते है। यह पद छुआछुत जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए प्रेरित करता है। नीचहु डच करै मेरा गोविदु कहकर रैदास जाति-प्रथा एवं भेदभाव को समाप्‍त करने की इच्‍छा व्‍यक्‍त करते है।