पाठ का नाम | दुख का अधिकार |
प्रश्न-1१ प्रश्न-2 | निम्न प्रश्नों के उत्तर २-३ पंक्तियों में दे (२ अंक ) 1. किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें क्या पता चलता है? 2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है? 3. लेखक ने समाज की किस कुप्रथा पर व्यंग्य किया है? 4. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ५० से ६०पंक्तियों में लिखिए (५अंक) 1. "दुख का अधिकार "कहानी का मूल भाव क्या है? 2. 'व्यक्ति के सुख- दुःख में समाज की क्या भूमिका होती है।' अथवा 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 3. इस पाठ का शीर्षक 'दुःख का अधिकार कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट कीजिए। |
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