पठित गद्यांश (1)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर प्रश्नों के उत्तर दो-
गोधूलि पर कितने कवियों ने
अपनी कलम नहीं तोड दी, लेकिन यह गोधूली गाँव की अपनी सम्पत्ति है, जो शहरों के बाटे नहीं पडी।
एक प्रसिद्ध पुस्तक विक्रेता के निमंत्रण- पत्र में गोधूलि की बेला में आने का आग्रह
किया था, लेकिन शहर में धूल- धक्कड के होते हुये भी गोधूलि कहाँ? यह कविता की विडम्बना थी और गाँवो में भी जिस धूलि को कवियों ने अमर किया
है, वह हाथी घोडो के पग- संचालन से उत्पन होने वाली धूल नहीं है, वरन गो- गोपालों के पदों की धूलि है।
(क)
पाठ तथा लेखक का नाम लिखिये।
(ख)
गोधूली को गाँव की अपनी सम्पत्ति
क्यों कहा है ?
(ग)
पुस्तक विक्रेता ने निमंत्रण-
पत्र में गोधूलि- बेला लिखकर क्या गलती की?
(घ)
कवियों ने किस धूल को अमर कर
दिया?
(ङ)
गोधूलि, विडम्बना, पदों शब्दों के अर्थ लिखो।
पठित गद्यांश (2)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर प्रश्नों के उत्तर दो-
हमारी देश-भक्ति धूल को माथे से न लगाये तो कम से कम उस पर पैर
तो रखे। किसान के हाथ –पैर, मुँह पर छाई हुई यह धूल हमारी सभ्यता से क्या कहती है? हम काँच को प्यार करते हैं, धूलि भरे हीरे में धूल ही दिखाई
देती है, भीतर की कांति आँखों से ओझल रहती है, लेकिन ये हीरे अमर है और एक दिन अपनी अमरता का प्रमाण
भी देंगे। अभी तो उन्होंने अटूट होने का ही प्रमाण दिया है- “ हीरा वही घन चोट न टूटे।“
वे उलटकर चोट भी करेगें और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा। तब हम हीरे
से लिपटी हुई धूल को भी माथे से लगाना साखेंगे।
(क)
पाठ तथा लेखक का नाम लिखिये।
(ख)
हमारी देश- भक्ति कैसे प्रमाणित
होगे?
(ग)
धूलि भरे हीरे में धूल ही दिखाई
देती है- व्यंग्य स्पष्ट कीजिये।
(घ)
“ हीरा वही घन चोट न टूटे।“
से क्या अभिप्राय है?
किसान धूलि
भरा हीरा किस प्रकार है?
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